लाइट एंड साउंड शो में 4 साल से अटके काम फरवरी तक पूरे करें, अफसरों की भूमिका भी तय हो


जयपुर. जयपुर समेत प्रदेश के 9 शहरों में लाइट, साउंड एंड मल्टीमीडिया शो को लेकर पर्यटन मंत्री और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) एमडी के बीच विवाद जारी है। यदि 45 करोड़ के टेंडर को लेकर चल रहे इस विवाद पर जल्द पार नहीं पाई गई तो पैसा लैप्स होगा।


केंद्र की योजना में आए इस पैसे का 4 साल से उपयोग नहीं हुआ। अब केंद्र ने फरवरी तक वर्कऑर्डर की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। दिल्ली में पर्यटन व आरटीडीसी अफसरों से बैठक में केंद्र ने ये निर्देश दिए। अब पर्यटन विभाग और आरटीडीसी पर दबाव बढ़ गया है। यदि पैसा लैप्स होता है तो सरकार की छवि तो खराब होगी ही। पयर्टन को भी नुकसान होगा।


आरटीडीसी ने जो टेंडर किए हुए हैं, उनकी तकनीकी बिड खोली जा चुकी है। इनमें से 5 कार्यों में केवल एक-एक फर्म ने निविदा भरी है। जो कि कुंभलगढ़, मीरा बाई मेड़ता, सांभर लेक, प्रताप गौरव केंद्र के अलावा मच्छ कुंड धौलपुर के काम हैं। सिंगल कार्यों में बगैर प्रतिस्पर्धा कैसे मंजूरी मिलेगी? यह बड़ा सवाल है।


चार साल से अटके हैं काम
लाइट एंड साउंड शो के इन कार्यों के लिए पहले हुए टेंडर रद्द हो चुके हैं। वहीं बड़े अफसर काम की एजेंसी और प्रक्रिया तय नहीं कर पाए। पहले आरटीडीसी से काम कराना था, जिसे विवादों के चलते टूरिज्म में रैफर कर दिया गया। इसके बाद दाल नहीं गली तो फिर आरटीडीसी के पाले में आए और अब जबकि टेंडर हुए तो पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और आरटीडीसी एमडी कुंजविहारी पंड्या में ही ठन गई। मंत्री ने टेंडर प्रक्रिया को गलत बताकर निरस्त करने की बात की तो एमडी ने इसे नहीं रोकने का फैसला किया। मामला सीएमओ स्तर भी गया हुआ है।